प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अगले सौ दिनों के अपने एजेंडे का ऐलान कर दिया है. इससे वह जताना चाहते हैं कि वादों को पूरा करने में ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी. वह अपनी सरकार को और क्षमतावान, असरदार और तेज़ बनाने की कोशिश में हैं. इसलिए हर तीन महीने के बाद मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा करने का भी ़फैसला लिया गया है. सरकार ने यह साफ कर दिया है कि आंतरिक सुरक्षा को मज़बूत करना, अर्थव्यवस्था में तेज़ी से सुधार लाना और रोज़गार के मौके बढ़ाना ही इस बार की प्राथमिकता होगी. मनमोहन सिंह सरकार ने 100 दिनों के लक्ष्य की घोषणा करके यह साबित किया है कि पिछली बार की तरह वह इस बार एक जवाबदेह सरकार देने की प्रयास कर रहे हैं.
केंद्र सरकार का सबसे पहला ़फैसला महिला आरक्षण को लेकर है. राष्ट्रपति के अभिभाषण के ज़रिए सरकार ने साफ कर दिया है कि 100 दिनों में संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण की दिशा में क़दम उठाया जाएगा. केंद्र सरकार की नौकरियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए संगठित प्रयास किए जाएंगे. महिला केंद्रित कार्यक्रमों को मिशन के रूप में लागू करने के लिए सशक्तीकरण पर राष्ट्रीय मिशन शुरू करने की योजना है. हालांकि लोकसभा में सरकार को शरद यादव ने पहला तब झटका दिया, जब उन्होंने यह धमकी दे दी कि अगर महिला आरक्षण बिल मौजूदा रूप में पारित किया गया तो वह ज़हर खा कर जान दे देंगे. सोचने वाली बात है कि उनकी ही पार्टी की सरकार ने बिहार में पंचायत स्तर पर महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने की शुरुआत की है. दरअसल शरद यादव महिला आरक्षण के ख़िला़फ नहीं हैं. उनकी आपत्ति इस बात को लेकर है कि मौजूदा स्वरूप में आरक्षण का ़फायदा स़िर्फ ऊंची जाति की महिलाओं को मिलेगा. वह चाहते हैं कि इस आरक्षण में दलित और पिछड़ी जातियों की महिलाओं के लिए भी कोटा निर्धारित हो. लालू यादव और मुलायम सिंह यादव की पार्टी ने भी महिला आरक्षण बिल का विरोध किया है. इन दोनों का कहना है कि यह क्षेत्रीय दलों को ख़त्म करने की साज़िश है. इन लोगों की बातों में भी दम है. इस पर गहन विचार करने की ज़रूरत है.
पर्यावरण के क्षेत्र में सरकार ने नदियों की सफाई से शुरुआत करने का ़फैसला किया है. अगले 100 दिनों में गंगा से शुरुआत कर अन्य नदियों की सफाई और सौंदर्यीकरण के लिए सरकार ठोस क़दम उठाएगी. गंगा के अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं. यह सवाल भी उठता है कि सरकार की यह चिंता इतनी देर से क्यों हुई, जब यह भविष्यवाणी की जा रही है कि 2030 तक गंगा का पानी सूख जाएगा. राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहला बड़ा निर्णय यही लिया था कि गंगा नदी को कैसे साफ बनाया जाए. इसके लिए उन्होंने 1984 में गंगा एक्शन प्लान की घोषणा की थी. इस कार्ययोजना में सरकार के साथ जनभागीदारी को बढ़ावा देकर गंगा को बचाने की मुहिम शुरू की गई थी. लेकिन आज गंगा पहले से भी ख़तरनाक स्थिति में पहुंच गई है. पर्यावरण की ही बात है तो पिछली बार से ही प्रधानमंत्री की देखरेख में बाघों को बचाने का प्राधिकरण काम कर रहा है. क्या हुआ? कितने बाघ बचे? यह बात सच है कि प्रधानमंत्री कार्यालय का सीधा हस्तक्षेप रहने से प्राधिकरण उतना लापरवाह नहीं हो पाएगा जैसा कि आमतौर पर कोई सरकारी विभाग हो जाता है. फिर भी राष्ट्रीय नदी की राजनीतिक घोषणा से आगे निकलकर बहुत कुछ किए जाने की ज़रूरत है. अब मनमोहन सिंह की सरकार अगले सौ दिनों में क्या करती है, यह देखना बाक़ी है.
सौ दिनों के एजेंडे को देखकर यह लगता है कि मनमोहन सिंह एक जबावदेह सरकार देना चाहते हैं. अधिकारियों और मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी तय करना चाहते हैं. यही वजह है कि सरकार ने अगले सौ दिनों में जनता को सूचनाएं मुहैया कराने के लिए सार्वजनिक डाटा नीति, क़ानून में संशोधन कर सूचना के अधिकार को सुदृढ़ बनाने, राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम की पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक लेखा परीक्षा लागू करने का ऐलान किया है. जनता के प्रति जवाबदेही बढ़ाने के लिए योजना आयोग की ओर से एक स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय की स्थापना करने की भी घोषणा हुई है. सरकार में नियमित आधार पर कार्य निष्पादन, देखभाल और मूल्यांकन के लिए तंत्र स्थापित किया जाएगा. सरकार ने यह भी घोषणा की है कि जनता को रिपोर्ट शीर्षक के अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पर्यावरण और अवसंरचना पर पांच वार्षिक रिपोर्ट पेश की जाएगी. प्रधानमंत्री की मंशा साफ है. वह एक स्वच्छ और भ्रष्टाचारमुक्त सरकार देने के पक्ष में नज़र आते हैं. सरकार की इन घोषणाओं पर अगर स़िर्फ पहल भी हुई तो सरकारी तंत्र में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे. जनता को अवश्य राहत मिलेगी. लोगों का लोकतंत्र पर विश्वास बढ़ेगा.
निजीकरण और उदारीकरण के पक्षधर प्रधानमंत्री की योजनाओं में ग्रामीण इलाक़ों के लिए भी बहुत कुछ है. प्रधानमंत्री के सौ दिनों की योजना में गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने और ग्रामीणों के विकास के लिए कई घोषणाएं हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार कार्यक्रम में 100 दिनों के काम के लिए औसत मज़दूरी 80 की बजाए 100 रुपये रोज़ करने की है. सरकार का ज़ोेर ग्रामीण इलाक़ों को ब्रांडबैंड नेटवर्क से जोड़ने पर भी है. इसलिए यह काम भी जल्द शुरू होगा, ताकि इसे तीन साल में पूरा किया जा सके. इसके अलावा पेट्रोेलियम मंत्रालय ने गांव की औरतों के लिए राहत भरी ख़बर दी है. सरकार ने एलपीजी को गांवों तक पहुंचाने का ़फैसला किया है. इसके कई ़फायदे होंगे. यह सस्ता तो होगा ही, इसके अलावा महिलाओं के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी अच्छा साबित होगा. अगले तीन वर्ष में सभी पंचायतों में भारत निर्माण सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक शासन व्यवस्था शुरू की जाएगी.
अर्थव्यवस्था में नरमी के आशंका के मद्देनज़र नई सरकार मंदी से बुरी तरह प्रभावित बुनियादी ढांचा, निर्यात, छोटे एवं मंझोले उपक्रम और आवास क्षेत्र पर ध्यान देगी, ताकि विकास की रफ्तार को रास्ते पर लाया जा सके. सरकार गोपनीय बैंक खातों में जमा ग़ैरक़ानूनी धन को वापस लाने का प्रयास करेगी और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश का विस्तार किया जाएगा.
सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि दो-तीन सरकारी कंपनियों में तुरंत विनिवेश हो सकता है. सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी तो बेची जाएगी, लेकिन सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम नहीं होगी. एनएचपीसी और ऑयल इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों के आईपीओ की प्रक्रिया को तेज़ करने और इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने पर जल्द पहल की जाएगी. सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की सूचीबद्धता के लिए समय सीमा तय करेगी. सरकार की दलील है कि शेयर बाज़ारों में सुधार हो रहा है, इसलिए हमने आईपीओ परामर्शकों के साथ बातचीत दोबारा शुरू की है, जल्द ही इस दिशा में क़दम उठाए जाएंगे. इसके अलावा, सरकार ने यह आश्वासन भी दिया है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सार्वजनिक निजी क्षेत्र की भागीदारी वाली लंबित परियोजनाओं को सौ दिनों के अंदर मंजूरी देगी. साथ ही इस क्षेत्र में नियमन प्रशासन पर ध्यान देने के अलावा इसे निवेश अनुकूल बनाया जाएगा. रेलवे, ऊर्जा, राजमार्ग, बंदरगाह, हवाई अड्डों के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी. भारत निर्माण कार्यक्रम के दूसरे दौर में ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास का लक्ष्य पहले से कहीं ज़्यादा होगा. इसके अलावा पहले चरण में शुरू की गई योजनाओं को पूरा किया जाएगा. इसके तहत गांवों में सड़क, बिजली और टेलीफोन जैसे बुनियादी ढांचों का विस्तार किया जाएगा. अगले पांच वर्ष में ग्रामीण आवास के लक्ष्य को दोगुना किया जाएगा, जिसके तहत एक करोड़ 20 लाख घरों का निर्माण किया जाएगा. ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम को 2011 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
विदेशी निवेश नीति में उदारता, सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण और पेंशन क्षेत्र के लिए नियामक बनाने की घोषणा की गई. राष्ट्रपति ने बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में संसाधन बढ़ाने की ज़रूरत को रेखांकित किया, ताकि वे बेहतर तरीक़े से समाज की जरूरत पूरी कर सकें. वित्तीय स्थिति मज़बूत करने के लिए सरकारी बैंकों का पुनर्पूंजीकरण और पेंशन क्षेत्र के नियामक के लिए क़ानून बनाया जाएगा. पीएफआरडीए विधेयक को संसद में फिर से पेश किया जाएगा.
सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के नाम से एक नया क़ानून बनाएगी, जिसके तहत ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों में ग़रीबी रेखा से नीचे का प्रत्येक परिवार तीन रुपए प्रति किलोग्राम की दर से हर महीने 25 किलोग्राम चावल या गेहूं प्राप्त करने का क़ानूनन हक़दार होगा. नंदीग्राम और सिंगुर जैसी घटनाओं की पृष्ठभूमि में किसानों और कृषि पर निर्भर अन्य व्यक्तियों के अनुचित विस्थापन से रक्षा के लिए संसद में पेश भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन बजट सत्र में पेश होगा.
मानव संसाधन मंत्रालय ने अगले सौ दिनों के अंदर युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की मदद से ऑटोनोमस स्टेट हाईयर एजुकेशन काउंसिल का गठन करेगी. उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्राओं के लिए 100 छात्रावास बनाए जाएंगे. देश भर में दस नए राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान बनाए जाएंगे. सौ दिनों के अंदर ही सरकार शिक्षा सुधार जैसे सेमेस्टर सिस्टम, क्रेडिट ट्रांसफर और पाठ्यक्रम को फिर से दुहराने का काम करेगी. अगले सौ दिनों के अंदर देश भर के उन 100 जिलों में 100 नए पॉलिटेकनिक इंस्टीट्यूट खोले जाएंगे जहां अभी वे नहीं हैं. साथ ही देश भर के 20000 कॉलेजों और चार सौ से ज़्यादा विश्वविद्यालयों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ा जाएगा. देश से ब्रेन ड्रेन (प्रतिभा पलायन) को रोकने के लिए सरकार नई ब्रेन गेन नीति का विकास करेगी, ताकि विश्वभर की प्रतिभाओं को आकृष्ट किया जा सके. इसके तहत 11 विश्वविद्यालयों को नवाचार विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया जाएगा. साथ ही यशपाल समिति की स़िफारिश के अनुसार राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा परिषद के गठन और राष्ट्रीय ज्ञान आयोग द्वारा विनियामक संस्थाओं में सुधार की पहल की जाएगी. डाकघरों और बैंकों में खातों के माध्यम से छात्रवृत्तियों और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का प्रावधान और चरणबद्ध तरीक़े से इसे स्मार्ट कार्ड में तब्दील किया जाएगा.
इसके अलावा, राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी स्कीम, ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम जारी रहेंगे. इसके साथ ही नरेगा को अन्य कार्यक्रमों के साथ बेहतर रूप से जोड़कर भूमि उत्पादकता में सुधार के अवसर को बढ़ाया जाएगा. पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर स्वतंत्र निगरानी और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किए जाएंगे.
आतंकवाद के ख़ात्मे के लिए राष्ट्रीय आतंकवादरोधी केंद्र की स्थापना की जाएगी. मनमोहन सिंह अगले सौ दिनों के अंदर आतंकवाद से निपटने के लिए निर्णायक योजना बनाएंगे. इस योजना के तहत आतंकवाद से निपटने वाले टास्क फोर्स का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करेंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि विद्रोह और उग्रवाद से निबटने के लिए कठोर उपाय किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निबटने के लिए सरकार द्वारा समयबद्ध तरीक़े से लागू की जाने वाली एक विस्तृत योजना तैयार की जा चुकी है. ख़ु़िफया सूचना के कारगर आदान प्रदान के लिए बहु एजेंसी केंद्र को मज़बूत बनाया जाएगा.
एकीकृत ऊर्जा पर विशेष ज़ोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कोयला, जल, परमाणु और अक्षय ऊर्जा जैसे विभिन्न स्रोतों के ज़रिए हर साल कम से कम 13 हज़ार मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ोतरी का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ग्राम तथा ग्रामीण परिवारों का विद्युतीकरण करने, समग्र तकनीकी तथा वाणिज्यिक हानियों में कमी लाने के कार्य को उच्च प्राथमिकता देना जारी रहेगा. तेल और गैस अन्वेषण की गति में तेज़ी लाई जाएगी.
अंतरिक्ष कार्यक्रमों के ज़रिए दूरसंचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम पूर्वानुमान के अलावा, कृषि, सुदूर चिकित्सा, दूरस्थ शिक्षा और ग्रामीण ज्ञान केंद्रों को सूचना मुहैया कराकर समाज को भरपूर लाभ पहुंचाने का भरसक प्रयास किया जाएगा. राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले पांच साल में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सरकार द्वारा शुरू की गई कई नई पहलों, जिन पर अब कार्य किया जा रहा है, को और सुदृढ़ किया जाएगा.
राष्ट्रपति के अभिभाषण के ज़रिए सरकार ने यह साफ कर दिया कि अगले सौ दिनों में वह क्या करने वाली है. पहली बार ऐसा हुआ है कि चुनाव के तुरंत बाद सरकार ने एक लक्ष्य रखा है. इस बात के लिए सरकार को बधाई. इसमें कोई शक़ नहीं है कि अगर सरकारी तंत्र और संसाधनों को इसके लिए ईमानदारी से लगाया जाए तो यह लक्ष्य आसानी से पूरा किया जा सकता है. इस दौरान प्रधानमंत्री उन समस्याओं को भी समझ सकेंगे जो किसी योजना को पूरा करने में द़िक्क़तें पैदा करती हैं. साथ ही उन्हें उन अधिकारियों की भूमिका का जायज़ा लेने में भी मदद मिलेगी जो योजनाओं को पूरा करने में हमेशा असफल रहते हैं. ज़रूरत इस बात की है कि अगर इन लक्ष्यों को पूरा करने में सरकार विफल होती है तो उसके लिए ज़िम्मेदार लोगों को दंडित भी किया जाए. वैसे हम हर 30 दिनों के बाद अपने पाठकों को ये बताते रहेंगे कि इन लक्ष्यों में सरकार ने कितनी प्रगति की है. 100 दिनों के इस एजेंडे पर सरकार के उठाए गए क़दमों के बारे में सारी जानकारी के साथ 30 दिनों बाद हम फिर हाज़िर होंगे.