संघर्ष से बना गीतकार शब्बीर अहमद

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कहते हैं मुंबई सपनों का शहर है, यदि आपके इरादे मजबूत हैं और आपमें कुछ कर गुजरने का जुनून है, तो आप यहां अपने सपनों साकार कर सकते हैं. ऐसे में यदि कोई आपके सपनों को परवाज देने वाला मिल जाये तो सोने पे सुहागा है. कुछ ऐसी ही कहानी है युवा गीतकार शब्बीर अहमद की. उनके साथ चौथी दुनिया के संपादक समन्वय मनीष कुमार से हृुई बातचीत के मुख्य अंश…

salman-khan-shabbir-Aliफिलहाल आप कौन-कौन सी फिल्मों के लिए गीत लिख रहेे हैं?
अभी काफी फिल्में आ रही हैं. कई अच्छी फिल्मों के लिए के लिए गीत लिख रहा हूं, जैसे सलमान भाई के प्रोडक्शन की और टी सीरीज की ऑल इज वेल जैसी कई फिल्में हैं.
सबसे पहले अपने किस फिल्म के लिए गीत लिखे?
सबसे पहले सलमान खान ने मुझे शादी करके फंस गया फिल्म में एक गीत दिलवाया. इसके बाद उन्होंने फिल्म गर्व के लिए मुझे गीत लिखने का मौका दिया. फिर साजिद भाई ने मौका दिया था. मैं सलमान भाई के पास आता-जाता रहता था. साजिद भाई मेरे लिखे गीतों के मुखड़े सुनते थे. हिमेश रेशमिया जी के साथ सलमान भाई के लिए मैंने कई गीत लिखे. उनके साथ कई और गीत आने वाले हैं. मेरे गाने आपने देखे होंगे जैसे तुझे अक्सा बीच घुमा दूं आ चलती क्या, तेरी मेरी प्रेम कहानी दो लफ्ज़ो में बयां न हो पाये, जुम्मे की रात है चुम्मे की बात है, सोणी के नखरे सोणे लगदे, केंदी पो केंदी चेन, या हम तुमको निगाहों में इस तरह बसा लेगें जैसे कई हिट गीत मैंने लिखे हैं.
आप मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं और आप मुंबई कैसे आये?
मेरी पैदाइश मुंबई के भिवंडी की है लेकिन मेरी मातृभूमि उत्तर प्रदेश का जौनपुर है. हमारा परिवार यहीं रहता था और जब मुंबई में दंगे हुए थे, तब मेरे वालिद और मां के अंदर दहशत बैठ गयी थी. फिर वे हमें लेकर वापस गांव चले गए. हमारी पढ़ाई-लिखाई वहीं हुई, लेकिन हमारा मुंबई आना-जाना लगा रहता था.
आपको उस दौर में क्या-क्या सहना पड़ा?
फिल्म लाइन में आने का मुझे शौक था. जो लोग इसमें छोटे-मोटे काम करते थे मैं उन लोगों के पास जाता था. उनके हाथ-पैर जोड़ता था, उनसे मिन्नतें करता था कि मुझे भी मौका
दिलाओ. मुझे याद है कि मैं भिवंडी में लूम चलाता था. हमारी एक लकड़ी की खोली थी, वह भी आधी टूटी और आधी झुकी थी. बिस्तर में बहुत सरे खटमल थे, मैं और मेरा भाई उसमें रहते थे. मेरा भाई दिन-रात ड्यूटी करता था, वह दिन में केवल 2-3 घंटे सोेता था. वह मुझे पैसे देता था, बोलता था कि भाई तू जा मेहनत कर. धीरे-धीरे यहां से वहां, वहां से यहां, दर-बदर घूूमता रहा. कई होटलों में नौकरी की. 50 किलो की गेहूं-चावल की बोरी लेकर 7-8 माला बिल्डिंग में जाता था. लेकिन कुछ अच्छा नहीं हो पा रहा था. फिर मेरी मुलाकात सलमान भाई हुई, वह एक फरिश्ते की तरह मेरी ज़िन्दगी में आये और हमें कहां से कहां पंहुचा दिया. उन्होंने हमारी ज़िन्दगी बदल दी.
आपकी मुलाक़ात सलमान खान से कहां और कैसे हुई?
मुंबई के मड-आईलैंड में शूटिंग चल रही थी. मैं रात 3 बजे साजिद भाई के साथ वहां गया, तब वहां सलमान भाई से मुलाकात हुई. सलमान भाई ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ रखा, कंधे पर हाथ रखकर साथ लेकर गये और बोले कि अच्छे से मेहनत करो, अच्छा काम करो. मैंने कहा कि मैं करूंगा. इसके बाद मैं मुखड़े लिखने लगा. फिर सलमान भाई को साजिद भाई के साथ मुखड़े बनाकर सुनाने लगा. भाई को मुखड़े अच्छे लगने लगे, वह बताने लगे इसे ऐसा करो, वैसा करो. ऐसा करते-करते सलमान भाई ने मुझे शादी करके फंस गया फिल्म में एक गीत दिलवाया.
शादी करके फंस गया फिल्म के कौन-कौन से गीत आपने लिखे?
उस फिल्म में सलमान भाई और शिल्पा शेट्टी पर फिल्माया गीत दीवाने दिल को जाने जां कहीं आराम नहीं.., ये मेरा पहला गीत था. इसके बाद सलमान भाई ने दूसरी फिल्म गर्व दिलाई. इसके बाद मेरी मुलाकात सलीम सुलेमान जी से हुई. फिर सलमान भाई के साथ मैं शाहरुख़ भाई से भी मिला. तब शाहरुख़ भाई काल फिल्म में काम कर रहे थे. करण जौहर और शाहरुख़ खान
साथ-साथ थे. मैंने भी एक गीत लिखा तौबा-तौबा इश्क न करिया. अल्लाह के करम से वो गाना उन्हें पसंद आया. फिर दूसरे गाने की बारी आई कि शाहरुख़ भाई और मलाईका अरोड़ा जी के ऊपर एक आइटम सॉन्ग चाहिए था, मैंने फिर वह गाना लिखा इस काल-काल में करें धमाल. ये सब सिलसिला चलता रहा लेकिन इसकी शुरुआत सलमान भाई से हुई.
मगर अभी तो उनके खिलाफ दो-दो केस चल रहे हैं?
उनके केस के बारे में मुझे तो अभी कुछ नहीं पता है कि क्या है और क्या नहीं. लेकिन खुदा करे मालिक हर सदी में उनको लोगों की मदद करने के लिए भेजे. लोगों की मदद करना,
लोगों को मंजिल तक पहुंचना, ये कोई आम बात नहीं है. बहुत बड़ी बात है. फिल्म इंडस्ट्री में तो सब बोलते हैं लेकिन कोई काम नहीं देता, केवल बड़ी-बड़ी बातें करते हैं.
ये लोग ऐसा क्यों करते हैं?
ये सबका अपना-अपना तजुर्बा है, अपना-अपना तरीका है. मगर आप सलमान भाई के सेट पर चले जाओ, घर पर चले जाओ, बिना खाए जाओ या खाकर जाओ. चाहे वो कोई भी हो, उनके यहां खाना, नाश्ता, पानी हर चीज़ आपको मिलेगी और वो देते हैं.
ऐसे कितने वाकये हैं सलमान भाई के?
अभी हाल ही में एक बार मैंने जुम्मे की रात गाने की लाइनें भाई को दीं, घर में कुछ बातचीत हुई फिर मैं वहां से निकल गया. मैं बोला चला जाता हूं. मैं वहां से जुहू तक ही पहुंचा था कि सलमान भाई ने फोन करके पूछा कि बिना खाना खाये चला गया. उन्होंने मुझे वापस बुलाया, कहा कि खाना खाओ फिर जाना. सलमान भाई की वजह से आज मेरे पांच भाई-बहनों की शादी हुई. मैंने मुंबई में अपना घर लिया. आज मेरा पूरा परिवार सेटल है. 2 महीने पहले मेरे वालिद साहब का इंतकाल हो गया. मुझे खुशी है कि भाई की वजह से मेरे वालिद ने दुनिया की हर खुशी देखी.
फिल्म दिमाग का दही के लिए आपने गीत लिखे हैं, खासकर जो कव्वाली आपने बनाई है उसके बारे में बताइए. कहां से इंस्पायर हुए?
देखिये, फौजिया अर्शी मेरी बहन हैं और इसका सारा क्रेडिट उन्हें जाता है क्योंकि उन्होंने जिस हिसाब से सिचुएशन और थॉट को एक्सप्लेन किया था, उस चीज तक पहुंचने की मैंने उसी हिसाब से कोशिश की. मैंने तो बस कोशिश की है. लेकिन एक अच्छा गाना बना है. फिल्म का टाइटल तो इतना फनी है, टाइटल सॉन्ग इंशाअल्लाह सुपरहिट होगा. फ्रॉक पहन के शॉर्ट, लगती हो बड़ी हॉट, बेबी किल मी ऑन द स्पॉट, इसके आलावा जो कव्वाली का सूफियाना अंदाज हो या रोमांस या रोमांटिक शायरी हर लेवल पर उनके साथ काम करना और इन सारी चीजों को साथ लाना कमाल की बात है. मेरे और उनके बीच यह डिबेट होता था कि ये सिंगर होना चाहिए. ये लिरिक्स होने चाहिए, इस तरह होना चाहिए. फौजिया जी ने कमाल का कंपोज़ किया है. कैलाश जी ने, शफाकत-अमानत अली जैसे लोगों ने इस फिल्म में गाने गाये हैं.

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